Saturday, July 2, 2016

जिंदाबाद ... मुर्दाबाद ... !

नौकर शब्द से ... नौकरी बना है ...
जो नौकरी कर रहे हैं .. सब नौकर हैं,

चाहे चपरासी हो.. या हो कलेक्टर ...
एस.पी. हो.. या हो सिपाही.. सब नौकर हैं,

कोई छोटा है ... कोई बड़ा है ...
पर ... झंडे पकड़ के ... सब चल रहे हैं,

गर ... फर्क है ... तो इत्ता-सा है
कोई बंधुआ है ... तो कोई मुनीम है,

कोई गिलास उठा-उठा के रख रहा है
तो कोई गिलास धो रहा है,

जिंदाबाद ... मुर्दाबाद ... के नारों से ...
कोई अछूता नहीं है ...
सब लगा रहे हैं.. सब लगा रहे हैं.. ???

~ श्याम कोरी 'उदय'

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