Friday, November 2, 2012

चर्चित लेखक ...


हाँ 'उदय' ... ये सच है कि - 
मैं एक चर्चित लेखक ... 
जीते-जी ... कभी नहीं बन पाऊँगा !

क्यों ? ... क्योंकि - 
मैं किसी 'गुट' में नहीं हूँ ... जब 'गुट' में नहीं हूँ तो - 
मेरी किताबें भी छपना मुश्किल हैं !

और फिर, ... ऐंसे में ...
पुरूस्कार बगैरह ... तो बहुत दूर की बात है 
पर हाँ ... मरने के तुरंत बाद ही ... हो जाऊँगा !!

वो कैसे ?? 
वो ऐंसे ... कि - 
मरने के बाद ... मेरा मुझ पर ... 
जब ... कोई जोर नहीं रहेगा ... 

तब ... कोई धुरंधर 'गुटबाज' ... 
मेरी आत्मा को ...
ससम्मान -
अपने 'गुट' में मिला लेगा, तथा -

गोष्ठियाँ, चर्चाएँ, श्रद्धांजलि सभाएँ ... 
समीक्षाएँ, किताबें, इत्यादि ... 
और मैं, ... इस तरह ... 
एक चर्चित लेखक ... हो जाऊँगा ... 

वाह ... वाह-वाह ... 
क्या बात है ... बधाई ... शुभकामनाएँ !!!

3 comments:

Amrita Tanmay said...

निर्गुटों का यही हश्र किस्मत ने बदा है..

संगीता पुरी said...

अलग रास्‍ते पर चलकर भी चर्चित लेखक हो सकते हैं ..
बधाई . शुभकामनाएं ..

प्रवीण पाण्डेय said...

गुटी गुटी और घुटी घुटी हिन्दी।