Friday, December 29, 2017

मेरी भी .. शुभकामनाएँ ... !

लो दोस्तो ... मैं चला ..
गुजरा वक्त हूँ .. गुजरता साल हूँ .. जा रहा हूँ ...

तुम ..
हाँ तुम .. डूबे रहो ... नये साल के जश्न में ..

नदियों में ..
झरनों में ..
समुन्दरों के किनारों में ..
पहाड़ों में ..
गुफाओं में .. जंगलों में ..
रेस्ट हाऊसों में .. स्टार होटलों में ..

मैं चला .. बाय-बाय दोस्तो .. बाय-बाय ... !

पर हाँ .. जश्न में .. इतना मत भूल जाना ...
कि -
मैं .. तुम्हारा अतीत हूँ .. गुजरा वक्त हूँ ... ?

तुम्हारी .. ढेरों अच्छाईयाँ-बुराईयाँ .. समेटे हुआ हूँ ...
तुम्हारे काले चिट्ठों के पिटारे भी तो ..
मेरे जेहन में दफ़्न हैं ... !!

तुम .. हाँ तुम ... मुझे ..
भूलकर भी भूलने की गुस्ताख़ी मत करना .. वर्ना ... !!!

खैर .. छोड़ो .. जाने दो ...
आज नहीं ...
आज तुम .. जश्न में डूबे हुये हो ..
आज तो .. तुम्हें ...
मेरी भी .. शुभकामनाएँ ... ।।

~ श्याम कोरी 'उदय'

Wednesday, December 27, 2017

आज .. सिर्फ .. वक्त ही तो बदला है ... ?

बदलते वक्त के साथ तुम भी बदल रहे हो
क्यूँ ऐंसा .. तुम सितम कर रहे हो
संग जीने-मरने के वादे ...
क्यूँ .. इतनी बेरहमी से तोड़कर जा रहे हो,

हालात ही तो बदले हैं
मैं तो नहीं बदला !

हम मुफलिसी के दौर के साथी हैं
कितनी ठंडें ..
कितनी बरसातें ..
कितनी गर्मियाँ ..
हमनें .. कभी पीपल तले .. तो कभी बस अड्डों पे ...
संग-संग काटी हैं,

आज ..
मेरे पाँवों तले से मखमली कालीन क्या खिसक गई
तुम मुँह मोड़ कर जाते हो,

ज़रा रुको .. ठहरो .. सुनो ...
आज भी .. मैं वही हूँ .. जो कल था ...
हौसले .. कर्मठता .. इरादे .. सोच ... सब वही हैं
आज .. सिर्फ .. वक्त ही तो बदला है ... ?

~ श्याम कोरी 'उदय'

Sunday, December 17, 2017

ऊबड़-खाबड़

बहुत ऊबड़-खाबड़ है सफ़र जिन्दगी का
ज़रा संभल के चलो,

न गिरो
न ठहरो
कुछ ऐंसे कदम तुम भरो,

चलो .. बढ़ो ... बढ़ते रहो
कौन आगे .. कौन पीछे .. इसमें उलझे न रहो,

बहुत ऊबड़-खाबड़ है सफ़र जिन्दगी का
ज़रा संभल के चलो ... !

~ श्याम कोरी 'उदय'