Wednesday, March 29, 2017

Life ...

life is a race of without goal
because ...
death is defenitely not a goal

then ...
why we are racing ..
why we are running ...

why we are not smoothly enjoying life
without fear ... without greed ...

why ...
why we are not living for eachother ... ?
Why we are not being honest ... ??
Why ... why ... why ... ???

Friday, March 17, 2017

प्रिय अरविंद ..... जब तुम्हारे पास पंजाब में सीएम कैंडिडेट नहीं था तो चुनाव में कूदे क्यों ?

प्रिय अरविंद ..... जब तुम्हारे पास पंजाब में सीएम कैंडिडेट नहीं था तो चुनाव में कूदे क्यों ?
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प्रिय अरविंद .... तुम्हारा पंजाब चुनाव लड़ने वाला कदम बेहद ही चौंकाने वाला था, चौंकाने वाला इसलिये कि जब तुम्हारे पास मुख्यमंत्री पद के लिये उम्मीदवार ही नहीं था तो तुमने यह कैसे सोच लिया कि तुम चुनाव जीत जाओगे ?

क्या तुम भी अपने आप को भाजपा व कांग्रेस जैसी स्वयं-भू पार्टी समझने लगे हो ? ... या फिर कहीं ये सोच कर तो नहीं कूद गए कि तुक्के में तीर लग जायेगा ? .... मेरा तो मानना है कि इस चुनाव से तुमने एक ऐसी पटकनी खाई है जिसकी भरपाई मुझे दूर दूर तक नजर नहीं आती !

खैर ... जो हुआ सो हुआ .... लेकिन .. किन्तु .. परंतु ... इस चुनाव के माध्यम से अर्थात विजयी नतीजों से तुम 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए एक मजबूत विपक्ष / विकल्प के रूप में उभर कर आ सकते थे, किन्तु आप अदूरदर्शी व उपेक्षापूर्ण रणनीति के कारण इससे चूक गए !

अब आपकी पार्टी का स्वरूप व सोच एक अन्य राजनैतिक पार्टी के जैसा होते जा रहा है ... यदि समय रहते आपकी नीतियों व रणनीतियों में पैनापन नहीं आया तथा एकाद और किसी चुनाव के नतीजे आपकी अदूरदर्शिता व उपेक्षापूर्ण नीति के कारण हाथ से निकल गए तो समझ लेना कि .... अब खेल ख़त्म हुआ ... ?

Sunday, March 12, 2017

असहज चुनाव और सहज नतीजे ...... जीती भी जनता और हारी भी जनता !

असहज चुनाव और सहज नतीजे ..... वाह क्या बात .... जीती भी जनता और हारी भी जनता !
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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे बिलकुल वैसे ही हैं जैसे 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे थे ...  चौंकने वाले ... और चौंकाने वाले .... दोनों ही चुनावों में न तो कोई लहर थी और न ही किसी बवंडर के संकेत थे ... मगर ... नतीजे बवंडर की तरह आये और बड़ी-बड़ी हस्तियों औ सियासतों को उड़ा कर ले गए ।

न तो देश के एक बुद्धिजीवी वर्ग को वे नतीजे हजम हुए थे और न ही आज के नतीजे हजम हो पाएंगे ... ऐसा मेरा मानना है, ऐसा मेरा अनुमान है ... और तो और 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे बहुतों को तो आज तक हजम नहीं हो पाये हैं ... फिर न जाने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे कैसे हजम हो पाएंगे .... ?

खैर ... बहुत सी चीजें, बहुत से नतीजे, बहुत सी हारें, बहुत सी जीतें .. अक्सर बहुतों को हजम नहीं हो पाती हैं ... सबसे चौंकाने वाली बात तो .. कभी-कभी वो हो जाती है कि .. जीतने वाले को भी जीत की मूल वजह मालूम नहीं होती है और वह इस गलत फहमी में खुश व मदमस्त रहता है कि ... जीत की वजह वह खुद है ... ?

असहज चुनावों के सहज नतीजों व गलत फ़हमियों के तिलस्मी किले जब टूटते हैं तो ... वैसे ही टूटते हैं जैसे मुट्ठी से रेत फिसलती है ..... यदि समय रहते जीतने वाले की गलत फहमियां दूर हो जाएँ तो ठीक है .... वर्ना ... हमने बड़े-बड़े किले ढहते देखे हैं फिर वो तिलस्मी किले हों या सामान्य किले .... ?