Thursday, September 29, 2016

कथनी औ करनी ... !

इश्क में.. कारीगिरी.. कभी हमने भी की थी 'उदय'
मगर अफसोस.. कहीं-कहीं.. रंग फीका रह गया ?
...
आज फिर शाम से घिर आया था उनकी यादों का नशा
गर .... हम .... कॉकटेल न करते ..... तो उतरता कैसे ?
...
वो थे तो मेरे करीब .... पर ..... हर पल खामोश थे
कुछ इस तरह के भी माजरे, मेरे दिल के करीब थे ?
...
न .. मत ढूंढों .. तुम ... अब आसमां में सुरागां
कहाँ अब ... कथनी औ करनी ... एक लगे है ?
...
खटिया खड़ी न हो जाए, बस यह डर सता रहा है 'उदय'
वर्ना.. कौन नहीं जानता, खाट से कितना परहेज है हमें ? 

Monday, September 26, 2016

संशय .. !

सिर्फ
आस्थाओं के
दिए जलाने से कुछ नहीं होगा
विश्वास के भी जलाने होंगें

नहीं तो
तुम्हारी पूजा अपूर्ण रह जायेगी
व्यर्थ हो जायेगी

तुम्हें
तुम्हारे भगवान मिलेंगें जरूर
पर तुम
उनसे मिल पाओगे या नहीं
इसमें संशय रहेगा ... ?

~ श्याम कोरी 'उदय'

Sunday, September 25, 2016

युद्ध .. चाहो तो.. देख लो ... इतिहास ... !

युद्ध पहले भी हुए हैं
आगे भी होंगें

कोई हारा है, कोई जीता है

फिर से ..
कोई हारेगा, कोई जीतेगा

पर
लहू-लुहान, खून-खच्चर ... मातम ..

दोनों के नसीब थे, और रहेंगें

चाहो तो.. देख लो ... इतिहास ...
या
आजमा लो .. भविष्य ... ?

~ श्याम कोरी 'उदय'

Monday, September 5, 2016

तुम ... और तुम्हारी डींगें ... उफ्फ .... !

गर ... अगर ... बात ... सिर्फ हार-जीत की होती तो
हम .. छोड़ देते ...

दे देते .. तुझे .. ये बाजी

मगर तूने
ये जो माहौल बनाया है

कि -

तुझसे बड़ा .. कोई खिलाड़ी नहीं है ..
कोई तुर्रम नहीं है

ये बात ... हमें कुछ जंच नहीं रही है
इसलिए ..

अब ... दो-दो हाथ ...
तुम ... तय समझ लो दोस्त ...

दर-असल .. जमाने को भी
तुम्हारी हकीकत से ... रु-ब-रु कराना .. जरूरी है ..

वर्ना .. तुम ... और तुम्हारी डींगें ... उफ्फ .... ???

~ श्याम कोरी 'उदय'

Thursday, September 1, 2016

दाँव ... रिस्क का .. ?

चलो दाँव लगाएं
एक और ... रिस्क का ..

जैसा ...
पहले लगाते रहे हैं ... हम ..

हार-जीत ... देखेंगे ..
कौन भिड़ता है .. कौन टांग अड़ाता है

अगर नहीं लड़े ... नहीं भिड़े .. तो ...
जिन्दगी .. नीरस ही रहेगी

उत्साह को .. हम तरसते रहेंगे ...

कोल्हू के बैल .. की भाँती
हम चलते रहेंगे ... घिसटते रहेंगे ..

चलो दाँव लगाएं
एक और ... रिस्क का .. ?

~ श्याम कोरी 'उदय'