Saturday, July 16, 2016

हाँ .. हम ... कश्मीर हैं ...... ?

क्यों .... क्यों करें ... हम शर्म ?
जाओ ... नहीं करना
तुम्हें ... जो सोचना है सोचो ...

जो करना है करो
जो कर सकते हो .. वो करो ..

और ..
जो हमें अच्छा लगता है .. लग रहा है ..
वो .. हमें करने दो

हम नहीं करेंगे शर्म
हमें ... नहीं आयेगी शर्म ?

क्यों ?..... क्योंकि ......
हम जन्मजात आतंक के समर्थक हैं
आतंकियों के समर्थक हैं

आतंक .. हमारा फैशन ... पैशन है ..
हुनर है .... दीवानगी हैं ..

या .. यूँ समझ लो
आतंक ही हमारा धर्म है

हमारे लहू में .. हमारी धड़कनों में ..
आतंक .. दौड़ रहा है .. धड़क रहा है

हाँ .. हम ... कश्मीर हैं ...... ???

~ श्याम कोरी 'उदय'

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