Wednesday, April 6, 2016

'औ' एंड 'आ' ...

'औ' एंड 'आ'  ... !
-------------------
उमर ढल गई, गाल लटग गए
झुर्रियां भी तमाम चम-चमा रही हैं 'यारा,

बालों को रंगने
और
पॉवडर पोतने से
कोई 'स्वीट सिक्सटीन' हो नहीं जाता ?

ख्यालों को छोडो, उड़ानों को छोडो
ये हाल
सिर्फ ... 'औ' का नहीं, 'आ' का भी है ??

~ श्याम कोरी 'उदय'

Tuesday, April 5, 2016

जिन्दगी ...

जिन्दगी ... !
---------
धड़कन 
सांसें
आँगन
खुशियाँ 
जितनी तेरीं - उतनी मेरी, 

फिर क्यूँ ...
दुःख के बादल
आधे तेरे - आधे मेरे ?

~ श्याम कोरी 'उदय'

Monday, April 4, 2016

हॉफ पेंट ...

हॉफ पेंट ... !
----------
हॉफ पेंट हो, या फुल पेंट
हमें क्या !
हमें तो मतलब है
तुम्हारी सोच से, विचारधारा से, 
गर, वो सही, तो तुम सही
वर्ना, ........... सब गलत है ?

~ श्याम कोरी 'उदय' 

Sunday, April 3, 2016

चूनेबाजी ...

चूनेबाजी ... !
----------
कुछ चेलों ने मिलकर
इक चेले को ... गुरु बनाया
पीठ थप-थपाई ... तिलक लगाया ... और गले में डाली माला
निकल पड़े फिर मिलकर
कत्था-चूना लेकर
देश की भाई अब खैर नहीं
लगना तय है चूना ?

~ श्याम कोरी 'उदय'

Friday, April 1, 2016

लफ्फाज ...

लफ्फाज ... !
----------
लफ्फाजियों के दम पर 
तू ... कब तक बैठेगा तनकर,

शर्म कर ... झाँक गिरेबां में
तू ... बन बैठा है 'बॉस'
कमीनों
दोगलों
दलालों
ढोंगियों
माफियाओं 
भगोड़ों
कालाबाजारियों और मिलावटखोरों का,

लफ्फाजियां तू छोड़ ... कुछ बो
फसल काटेगी जनता
तू ... कुछ तो ... अच्छा बो !!!

~ श्याम कोरी 'उदय'