Thursday, March 17, 2016

चोरी और सीनाजोरी ....

लघुकथा : चोरी और सीनाजोरी
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( गाँव की चौपाल पर )
सरपंच - पंडित जी नमस्कार ... क्या बात है कुछ उदास-उदास से लग रहे हो ?
पंडित जी - नमस्कार सरपंच साहब ... आओ बैठो ... हाँ ... कुछ उदासी की ही बात है ... बेटा जिसका नाम काफी सोच-विचार कर रखा था कि वह बड़ा होकर 'सत्य' के पथ पर चलेगा तथा अंधेरों में 'प्रकाश' फैलायेगा ... किन्तु वह नाम तो नाम ... कुल को कलंकित कर रहा है ।

सरपंच - अरे ... ऐसा क्या कर दिया लाडले बेटे ने ?
पंडित जी - अब क्या बताऊँ ... बताने में भी शर्म आ रही है ... बेटा शहर जाकर चोरी-चमारी सीख गया है ... ऐसा सुना है कि वह 'गूगल बाबा' के अफ्रीका, आस्ट्रेलिया व अमेरिका स्थित घरों से ... कभी चम्मची चिड़िया, कभी नीली मगरमच्छ, कभी बाज, तो कभी कुछ और चोरी कर-कर के अपने 'फेसबुक वाल' पर पोस्ट कर झूठी वाह-वाही लूटने का प्रयास कर रहा है ... और तो और जब  उसका कोई मित्र या हमदर्द उसे 'आईना' दिखाने का प्रयास करता है तो वह उसके खिलाफ 'दुष्प्रचार व मिथ्या प्रचार' कर बदनाम करने में लग जाता है ... ( पंडित जी अपने सर पर दुखद मुद्रा में हाथ रखते हुए ) ।

सरपंच - इसका मतलब कि वह चोरी के साथ-साथ सीनाजोरी भी कर रहा है !
पंडित जी - बिलकुल सही कहा आपने ... वह 'चोरी और सीनाजोरी' कहावत को चरितार्थ कर रहा है !
~ श्याम कोरी 'उदय'
( कवि व लेखक )

Tuesday, March 15, 2016

भारत माँ की जय ...

भारत माँ की जय
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इसकी माँ की ... उसकी माँ की ... भारत माँ की ...
तुम जय मत बोलो,

गर ... जय बोलो तो
खुद की बोलो
पर ! खुद की जय-जयकार नहीं कोई सुनने वाला
तुम ! ये मत भूलो !!

तुम चमचे हो, या किसी के गमछे हो
कहाँ बैठे हो, कहाँ लटके हो
ज़रा खुद को देखो,

गंद-सड़ान जुबां पे लेकर
तंग गलियों से मन को लेकर
तुम कितनी दूर चलोगे बोलो
अरे ! कुछ तो बोलो !!

गर ! दिल-दिमाग गुलज़ार न हों
तब हम से बोलो
एक बार तुम दिल से
भारत माँ की जय तो बोलो !!

~ श्याम कोरी 'उदय'

Monday, March 14, 2016

जंगल राज ...

जंगल राज
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घोड़ा मारो - घोड़ा मारो
मारो घोड़ा, घोड़ा मारो, 

दम से मारो, जम के मारो, उठा के मारो, पटक के मारो
घोड़ा मारो - घोड़ा मारो,

जंगल अपनी , शेर भी अपना
घोड़ा मारो - घोड़ा मारो !!! 

~ श्याम कोरी 'उदय'