Wednesday, May 6, 2015

मुहब्बत का हिसाब ...

तस्वीरों की खूबसूरती तो महज इक इत्तफाक है 'उदय'
सच तो ये है कि - उनकी धड़कनों में बसती है कविता ?
सच ! वो सवालों पे सवाल दाग देंगे 'उदय'
गर, जुर्रत की, गिरेबां झांकने की तुमने ?

चाहें, न चाहें, देख कर तुझको, अदब से हाथ उठ जाता है आदाब को
समझ से परे है दोस्त, हम तेरे दीवाने हैं या तेरे कातिलाना नूर के ?

रंज … गम … औ मुहब्बत का हिसाब मत पूछो
कभी हारे … कभी जीते … मगर नुक्सान में हैं ?

1 comment:

Anonymous said...

"तो क्या हुआ"