Tuesday, April 21, 2015

इक इंतेहा कहानी ...

खूब जुदा है, अदा उसकी 'उदय'
न मिलती है
न बिछड़ती है
'खुदा' जाने …
दोस्त है वो, या रकीब है, 

अब … क्या बयां करूं
कैसे बयां करूं
जख्म हैं, पर निशां नहीं हैं,

उफ़ …
बस …
सिर्फ …
दर्द की इक इंतेहा कहानी है ?

Tuesday, April 7, 2015

जुनून-ए-इश्क ...

'खुदा' जाने किन कांधों पे उठेगा जनाजा उनका
वो जिनसे मिलते हैं तीखी जुबां से मिलते हैं ?
सच ! कुछ ख्याल - कुछ मिजाज, होंगे उनके भी अलग
पर उतने नहीं होंगे 'उदय', जितने हम उनसे अलग हैं ?
… 
कैसा रंज, कैसा गम, औ कैसी शिकायतें
सच ! हम वाकिफ हैं तुम्हारी हरकतों से ?
… 
सच ! मुफलिसी तू छोड़, कुछ और बातें करें
सब जानते हैं, यहीं सब छोड़ के जाना है ??
सच ! जुनून-ए-इश्क में परखच्चे उसके उड़ गए
जिसका नाम था, कल तक, बुलंद इमारतों में ?