Saturday, October 11, 2014

दुआ-सलाम ...

तिनके तिनके में बंटी है जिंदगी 
फिर भी कहते हैं समेटो जिंदगी ?
… 
रंज-औ-गम को छोडो 
चलो चलें - बढ़े चलें ? 
… 
सुबह की, … दुआ-सलाम क़ुबूल करें 
आज से, हम भी आशिक हैं तुम्हारे ?
… 
तू अपनी खुबसूरती पे इतराना बंद कर 
होंगे कोई और, हम तो तेरी अदाओं के दीवाने हैं ?
… 
तुझे, तेरी गली की दूधिया चाँदनी मुबारक 
हमें तो … 
टूटते तारों की रौशनी ही बहुत काफी है ?? 
… 

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