Monday, June 30, 2014

सितम ...

क्यूँ मियाँ, क्यूँ तुम … आज इतने ठप्प बैठे हो
हमने तो सुना था गप्प से तुम बाज नहीं आते ?

सच ! तेरे इस नूर पे, सिर्फ हक़ हमारा है कहाँ
जिसे देखो उसी की नजरें तुझपे जाके हैं टिकीं ?

खुद से खुद की शिकायत
इतना सितम क्यूँ यारा ?
अब तुम जुदा होके भी खफा हो यारा
भला अब इसमें गल्ती कहाँ है मेरी ?
कैसे किस्से, औ कैसी कहानी 'उदय'
चोरों की बस्ती है, चोरों का राज है ?

Wednesday, June 18, 2014

आशिक़ी ...

सन्न है, सन्नाटा है
चँहू ओर भन्नाटा है ?

रोज ……… वही अफ़साने, वही तराने
बस, समझ लो, मुहब्बत है हमें उनसे ?
तेरी आशिक़ी की सौं,
ज़िंदा रहेंगे हम, मिलते रहेंगे हम ?