Saturday, March 1, 2014

हाय-तौबा ...

लो, आज हम भी उनकी बातों में आ गए 
यह जानते हुए भी, कि - वे दगाबाज हैं ? 
… 
जिनकी खुद की, अकल नहीं है ठिकाने पे 
चेले उतारू हैं उन्हीं को गुरु बनाने पे ???
… 
इतनी हाय-तौबा वो भी सत्ता के लिये 
उफ़ ! उफ़ !! उफ़ !!! पहले नहीं देखी ??
… 
मैं शेर नहीं हूँ … 
कम से कम … बब्बर शेर तो नहीं हूँ 
फिर भी, 
अगर, 
उनको लगता है … 
कि - 
उनका नेता 
गीदड़ … 
होकर भी शेर है … उनकी मर्जी ???
… 
सुनो यारो तुम मुझपे यकीं मत करना 
दिल जो कहता है तुम वही करना ???
…