Wednesday, February 26, 2014

मुगालते ...

गर, पांवों के नीचे कम्पन हुई है 'उदय' 
तो कहीं-न-कहीं तो भूकंप आया होगा ? 
… 
कभी-कभी हम सुलझते-सुलझते भी उलझ जाते हैं 
वहाँ गणित,…………… कुदरत का होता है 'उदय' ? 
…  
सच ! गर, वो हमें, अपनी पार्टी में शामिल कराने में सफल हो गए 
तो हम मान लेंगे 'उदय', कि उनके नाम का … कोई जादू जरुर है ?
… 
कूड़ा-करकट एक जगह इकट्ठा हो रहा है 'उदय' 
सड़न, गन्दगी, बदबू, हैजा,
महामारी, ……… के लिए लोग तैयार रहें ? 
…  
हम जानते हैं 'उदय', बिकने वालों की कोई औकात नहीं होती 
फिर भी, अगर, वो मुगालते में हैं …… तो कोई क्या करे ??
… 

Tuesday, February 25, 2014

जोखिम ...

हर कीमत पर वो बिकने को तैयार हैं 
यारो, कोई कीमत लगाओ तो सही ?
… 
जिन्हें, आज… जेल में होना था 'उदय' 
वो भी, प्रधानमंत्री बन्ने की दौड़ में हैं ?
… 
खरीद-फरोख्त का दौर है 
खुद को सम्भालो यारो ?
… 
सच ! चलो माना, कि उनके नाम की हवा है 
पर 'उदय', सब जानते हैं… वह कृत्तिम है ? 
तुम तनिक जोखिम उठाओ तो सही 
हमें देख के 
एक बार मुस्कुराओ तो सही 
कसम खाते हैं … 
"बाई गॉड" … 
तुम्हें…… हम कभी सतायेंगे नहीं ?
… 

Sunday, February 23, 2014

खरौंचें ...

गर, वो लेखक हैं, कवि हैं, साहित्यकार हैं 
तो, हम भी तो पाठक हैं, विश्लेषक हैं ?? 
प्रधानमंत्री बन्ने की इतनी जल्दी है तो मियाँ 
पहले … 
पार्टी की -
नीतियां, सोच, विचारधारा … 
क्यों नहीं बदल लेते ? 
… 
देखो, संभलो, अभी भी वक्त है मियाँ 
कहीं, मंसूबों पे झाड़ू न फिर जाए ???
… 
तुम अपने नाम के आगे-पीछे कहीं 'नेता' लिख लो 
यह भी, एक अच्छा ढंग है …… प्रसिद्धि पाने का ? 
…  
हमने सोचा था कि वो चट्टानों से भी भिड़ जायेंगे 
जिनसे आज, …… चंद खरौंचें भी सही न गईं ? 
… 

Saturday, February 22, 2014

गुलामी ...

सच ! यह भी उनका, एक और आत्मघाती कदम है 
सत्ता छिन जाने के बाद, फिर से उसे दबोच लेना ?
… 
व्यक्तिगत स्वार्थों को, छोड़ने को कोई तैयार नहीं है
जबकि, सब जानते हैं, दोनों चोर हैं,… महाचोर हैं ?
… 
कहीं खुशी, तो है कहीं मातम सा आलम 
ये कैसा बंटवारा है, ये कैसी सियासत है ?
… 
कैद तो होनी ही थी इसलिये हमने 'उदय' 
उनकी गुलामी क़ुबूल ली ?
… 
'आम आदमी' का माखौल उड़ाने वालों को पुरुस्कृत किया जाए 
क्योंकि - 
उन्हें  … 
'चाय-औ-दूध' की प्रसंशा के ऐबज में कुछ मिलने वाला नहीं है ?
… 

Thursday, February 20, 2014

स्वयंभू ...

गर, कुंवारे रहने का मुद्दा, आज हिट है 'उदय' 
तो, हम भी तो …… अब तक … कुंवारे हैं ?
… 
नेतागिरी के लफड़ों से, 
हमने, 
खुद को दूर कर लिया है 'उदय'  
डर इस बात का था, 
कि -
कहीं कोई 
पकड़ के 
हमें, … चुनाव न लड़ा दे ??? 
… 
स्वयंभू लेखकों और प्रकाशकों को नमस्कार 
गर, किताबें न बिकें तो हमें याद कर लेना ?
… 
उन्ने, खूब चीख-चीख के सत्य को झूठा कहा था 
मगर अफसोस 'उदय', उनकी … दाल न गली ?
… 

Wednesday, February 19, 2014

मारा-मारी …

सदनों में … आयेदिन 
हो रही, चल रही 
धक्का-मुक्की, झूमा-झटकी, फाड़ा-फाड़ी 
पटका-पटकी, मारा-मारी … 
के लिए भी 
कुछ सख्त क़ानून बनाये जाएँ 'उदय' 
कहीं ऐसा न हो 
किसी दिन,  
किसी दिन से … वहाँ 
हत्या, हत्या के प्रयास … शुरू हो जाएँ ?

खरबूजा और खंजर ...

खरबूजे पे खंजर गिरे 
या 
खंजर पे खरबूजा 
कटना तो खरबूजे को ही है 

ठीक वैसे ही 
हाल और भाग्य … 
देश के हैं 

देश खरबूजा हुआ है 
और 
तीनों गठबंधन … 
खंजर…खंजर…खंजर…?

Monday, February 17, 2014

हालात ...

ये दांव, बहुत भारी पड़ सकता है 'उदय' 
कोई भी स्वयं-भू, इसे हलके में न ले ?
… 
अब ये तो वक्त ही बतायेगा 'उदय' 
कि कुल्हाड़ी पे पाँव मारा किसने है ? 
... 
अब देखते हैं 'उदय', कौन किसपे भारी पड़ता है 
हार कर जीतने वाला या जीत कर हारने वाला ?
…  
तंग हालात में भी शान न टूटने पाये 
'उदय' कुछ राहें ऐंसी दिखाते रहना ?
… 
'खुदा' की मर्जी के आगे यहाँ चलती किसकी है 'उदय' 
फिर भी, लोग हैं जो खुद को स्वयं-भू समझते हैं ??
… 

Saturday, February 15, 2014

सत्ता ...

जरूरतों-और-मजबूरियों के, दाम नहीं होते  
बाजार तय करता है 'उदय', कीमतें उनकी ? 
… 
सच ! 'आम आदमी' अभी मरा नहीं है 'उदय' 
फिर भी, विशेषज्ञ, पोस्ट मार्टम पे उतारू हैं ? 
… 
वक्त वक्त की बात है 'उदय' 
आज, … उनका वक्त है ?? 
… 
पहले वो सत्ता के लालची थे, और अब वो भगोड़े हैं 
उफ़ ! क्या खूब तर्क दिए हैं, सत्ता के… दलालों ने ?
… 
सब जानते हैं, सत्ता अदरक नहीं है और वो बन्दर नहीं हैं 
बस, ये बात सत्ता के सौदागरों को कौन समझाये 'उदय' ? 
… 

Friday, February 14, 2014

सत्ता के सौदागर ...

जनाब, अक्सर ऐसे ही होते हैं हमारी संसद के नज़ारे 
साल में बहुत ही कम दिन होते हैं जो काले नहीं होते ?
… 
भोले-भाले लोगों को, वो, अब भी मूर्ख समझ रहे हैं 'उदय' 
जबकि, देश का 'आम आदमी' जाग रहा है, जाग गया है ? 
… 
कितना समझाया था, 'आम आदमी' को हल्के में मत लो 
लो, अब, सब पे,...................... पड़ रहा है न भारी ??
… 
वो जो, 'आम आदमी' को संवैधानिकता का पाठ पढ़ा रहे थे 'उदय' 
आज उन्ने ही, क्या खूब पेश की है असंवैधानिकता की मिसाल ?
… 
सब जानते हैं, सत्ता अदरक नहीं है और वो बन्दर नहीं हैं 
बस, ये बात सत्ता के सौदागरों को कौन समझाये 'उदय' ? 
… 

Wednesday, February 12, 2014

असंवैधानिक ...

बिल फाड़ दो, धक्का-मुक्की करो, सदन मत चलने दो 
सब संवैधानिक है 'उदय' 

गर, 
कुछ असंवैधानिक है तो -

भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना असंवैधानिक है, 
सख्त क़ानून बनाना असंवैधानिक है ??

Monday, February 10, 2014

ठीकरा ...

कुसूर उनका कतई नहीं है 'उदय' 
उनपे यकीं तो हमें ही हुआ था ? 
आज मैं बहुत हैरान हूँ 'उदय' 
किसी ने अब तक 
'आम आदमी' पर 
संसद न चलने देने का 
ठीकरा क्यूँ नहीं है फोड़ा ???
… 
उन्ने,…………………… खूब लूटा है 
कम से कम एक मौक़ा हमें भी तो दो ? 
…  
सिर्फ भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार चिल्लाने से कुछ न होगा 
गर जज्बा है,…… तो ठोस क़ानून को समर्थन दो ?
… 

Sunday, February 9, 2014

हिमायती ...

वे ... कभी अराजकता की, 
तो कभी … 
असंवैधानिकता की दुहाई देते हैं 
सीधे तौर पे 
सब 
क्यूँ कह नहीं देते 
कि -
हम भ्रष्टाचार के हिमायती हैं ?

Saturday, February 8, 2014

स्वयं-भू ...

चलो आज से, चित तुम्हारी और पट हमारी 
जनता तो मूर्ख है, सिक्का तो उछालेगी ही ? 
… 
उनको भी हक़ है, और उनको भी हक़ है 
सम्मान लेने, और देने का 
आखिर दोनों … स्वयं-भू जो हैं ?????
… 
अब जब, वो एजेंट हैं तो हैं, इसमें संशय कैसा  
बस, कोई उनसे, मालिकों सी उम्मीद न करे ? 
… 
चोरी-औ-उचक्काई में, उनका कोई सानी नहीं है 
मगर अफसोस, वो आज, एक कद्दावर नेता हैं ?
… 

Thursday, February 6, 2014

मंजिल ...

राह कठिन है, चाह कठिन है 
जीवन का संग्राम कठिन है 

थोड़ा तुम हो जाओ आसां 
और थोड़ा हो जाऊं मैं 

फिर … धीरे धीरे … 
बढ़े चलें … 
हम दोनों… मंजिल की ओर !

Wednesday, February 5, 2014

कोर्ट मार्शल ...

बे-वजह, क्यूँ तड़फ रहे हो खामोशियों में 
आँखों से ही सही, कुछ कह के तो देखो ?
भईय्या आज से अपुन भी समाजसेवी हो गए हैं 
खुद अपुन ने ही, 
अपने नाम के नीचे समाजसेवी लिख लिया है ? 
… 
सच ! हम भ्रष्ट सरकारों के आदि हो गए हैं 'उदय' 
गिरने दो, इकलौती……एक ईमानदार सरकार ? 
… 
सच ! न कोई खता, 
और न कोई कुसूर है हमारा 
फिर भी, 
मुहब्बत की कचहरी में 
है आज हमारा कोर्ट मार्शल ? 
… 

Saturday, February 1, 2014

अधिकार ...

दुआओं, मन्नतों, प्रार्थनाओं से भी अब कुछ नहीं होगा 
कोई समझाये उन्हें, 
हमसे दोस्ती, … फिर से, … मुमकिन नहीं यारा ???
,,, 
सच ! कुछ कर गुजरने के माद्दे ने 'उदय' 
उन्हें ख़ास से आम बना दिया है आज ? 
… 
उनकी लफ्फाजियों से हम तंग आ गए हैं 'उदय' 
सुबह हो या शाम,… जब देखो तब वही बातें ?? 
… 
ख़्वाब देखने का अधिकार, कोई हमसे न छीने 'उदय' 
आज से, हम भी…………… पीएम-इन-वेटिंग हैं ?
…