Sunday, December 29, 2013

आग से रिश्ता ...

सिर्फ ख़्वाबों-औ-ख्यालों की बातें न कर 
हम हकीकत में भी,…… तेरे दीवाने हैं ?
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अभी-अभी, तुम्हारे वादों ने, ख्यालों में सताया है हमें 
चलो अच्छा ही है … हकीकत में … महफूज हैं हम ?
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तेरी ख्वाहिश की खातिर, आग से रिश्ता बनाया है 
वर्ना, बर्फ के ……… आगोश में डूबे हुए थे हम ? 
रहम कर बे-रहम 
जनता सोई हुई है ?
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उफ़ ! तनिक,…तू इंतज़ार तो कर 
तुझे भी यकीं हो जाएगा हम पर ? 
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Saturday, December 21, 2013

एतबार ...

अक्सर, कभी-कभी, मुर्दे भी जाग पड़ते हैं 'उदय' 
फिर ये तो, … … जीता-जगता मुर्दा क़ानून है ? 
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अब तू, मुझ पर, ज़रा भी एतबार न कर 
हाँ, मैं फरेबी हूँ … फरेबी हूँ … फरेबी हूँ ?
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अब 'खुदा' ही जाने, है कौन कितने फासले पे 
सच ! चहूँ ओर, इंकलाबी मशालें जल रही हैं ?
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बस इक सिबाय तेरे, है सभी को एतबार हम पे 
कि हमने, तेरी मोहब्बत में भेष बदला हुआ है ? 
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Sunday, December 8, 2013

गुनह ...

'खुदा' जाने ये कैसी क़यामत है 
वो सामने होकर भी अजनबी लग रहे हैं आज ? 
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मुहब्बत,…… फासले से, चल रही है देख लो यारा 
ऐसी सादगी को, हम … बा-अदब सलाम करते हैं ?
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अब तुम ही तय करो मुलाक़ात का वक्त 
तुम समुन्दर हो …… और हमें डूबना है ?
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गुनह उनका,……काबिल-ए-माफी नहीं है 'उदय'
पहले मुस्कुराया, फिर पलट के देखा नहीं उन्ने ?
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