Friday, August 23, 2013

कुर्सी के चाटूकार ...


कुंठा कहो, क्रोध कहो, आक्रोश कहो, या विद्रोह कह लो
लेकिन, हाँ…………………… मैं नाराज हूँ तुमसे ?

चोर, उचक्कों, औ बलात्कारियों का भी हक़ है 'उदय'
संत, … आसा, … राम, … बापू, … कहलाने का ?

तू, झूठ-मूच ही सही, मिलने का दिन तो मुकर्रर कर
फिर देखें, ………………. 'खुदा' की मंसा क्या है ?

कुर्सी के चाटूकारों का अब हम क्या करें 'उदय'
जी तो करता है,…उठा-उठा के प्प्प्प्पटक दें ?

सच ! आज के दौर के ढोंगियों, पाखंडियों, भ्रष्टाचारियों, घोटालेबाजो
मेरा सलाम क़ुबूल करो, कुछ तो है तुम्में जो अब तक सलामत हो ?

3 comments:

Anonymous said...

हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} पर कल पहली चर्चा में आपका सह्य दिल से स्वागत करता है। कृपया पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | सादर .... Lalit Chahar

Anonymous said...

हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} पर कल पहली चर्चा में आपका सह्य दिल से स्वागत करता है। कृपया पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | सादर .... Lalit Chahar

देवदत्त प्रसून said...

नेटवर्क की सुविधा से लम्बे समय से वंचित रहने की कारण आज विलम्ब से उपस्थित हूँ !
भाद्र पट के आगमन की वधाई !!
यथार्थ व्यंग्य के लिये वधाई !!