Thursday, June 27, 2013

वाह-वाही ...

सच ! वो दर्द लेकर तो खुद ही गये हैं यहाँ से
फिर भी, गुमान है उन्हें अपनी होशियारी पे ?
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जाने दो ...
उनकी तरह, जिन्दगी बे-वफ़ा नहीं होगी ?
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इंकलाब .............................................................
......................................................... जिन्दाबाद !
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हम तो बस, एक लाइन के नीचे दूसरी लाइन खींचने भर के 'शेर' हैं
यहाँ तो लोग हैं,..................... जो खुद को पूरा जंगल समझते हैं ?
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सच ! वाह-वाही लूटने का, बड़ा अच्छा तरीका ढूंढा है उन्ने
किसी की वाल के शब्दों को, अपनी वाल पे अपना कह दो ?
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Friday, June 21, 2013

अहमियत ...


उफ़ ! उनका फोन भी, उनकी ही तरह आशिक मिजाज निकला
सुबह देखो, ......... शाम देखो, .......... कभी खाली नहीं मिलता ?
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हजारों साँसें थम गईं, लोग जलमग्न हो गये
न जाने कितने,....................तनहा हो गये ?
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उफ़ ! आदमी को आदमी खाने लगा है 
अहमियत अब क्या रही सरकार की ? 
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सच ! वो खुद की अर्थी खुद सजा रहे हैं 
ऐंसे दमदार नेता रोज नजर आ रहे हैं ? 
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हाय-तौबा तो ... उनकी, हमारी, सब की, रोज की आदत है 
कुदरती कहर था .......................... इसे अब मान भी लो ?
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Tuesday, June 18, 2013

ऐब ...


आज,.....................हमें भीग जाने दो  
एक अर्से बाद, वो बरसे हैं बारिश बन के ?
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तुम जितना तोड़ोगे, हम उतना संवर जायेंगे
बात दिल की है, गर हारे भी तो जीत जायेंगे ?
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काश ! दिल उनका 'उदय', इतना तो वातानुकूलित होता
जो, हमारे दिल की, तडफ़न को सुकून दे पाता ??????
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काश, इतराने के सिबा, कुछ और भी हुनर होता उनमें
सच ! कसम 'उदय' की, जां निछावर कर देते हम भी ?
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सच ! ये कौन नहीं जानता है कितने ऐब हैं हममें
फिर भी, न जाने, उन्हें क्या नजर आया है हममें ?
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Wednesday, June 12, 2013

हार-जीत ...


अब कोई और न पूछे हमारी दीवानगी की इन्तेहा 
बस, मौत आ जाये.........उनकी मौत से पहले ?
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बहुत मुश्किल डगर है ...... जिन्दगी
तुम्हें भी हारना है, मुझे भी हारना है ?
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कहीं नमक कम, तो कहीं दाल कम है
उफ़ ! चहूँ ओर कुछ ऐंसे ही नज़ारे हैं ?
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सच ! हार-जीत तो खेल के हिस्से हैं 'उदय'
इस्तीफे से, संन्यास कहीं बेहतर होता ??
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उफ़ ! आज कुत्ते भी घी हजम करने का दम भर रहे हैं 'उदय'
जबकि, कौन नहीं जानता पनीर भी हजम नहीं होता है उन्हें ?
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Monday, June 10, 2013

समय की मार ...


उनकी ढेरों कवितायें अब भी आधी-अधूरी हैं
लेकिन वो,................कवि पूरे हो गए हैं ?
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आज भी हम पागल हैं कल की तरह
गर, तुम चाहो तो आजमा लो हमें ?
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वैसे, आग लगाना तो हमें भी आता है 'उदय'
बस, हम चाहते नहीं कि- जल जाये ये जहाँ ?
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सच ! हुआ वही जो न होना था
अब वो भी, हमारी राह पर हैं ?
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समय की मार क्या है, ये कोई हमसे न पूछे 'उदय'
सच ! धोखा भी हजम हो गया है आज ????????

Thursday, June 6, 2013

घाव ...


ये,...टुच्चों-औ-लुच्चों का दौर है 'उदय'
यहाँ तुम्हारी-औ-हमारी बखत क्या है ?
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कुर्सी का मोह छोड़ दें, क्यूँ भला अब हम 'उदय'
इक कुर्सी के ही तो खातिर, बेचा है ईमान भी ?
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करोड़ों की भीड़ में, कहीं खो गये हैं 
हम,...............उन्हें ढूँढते-ढूँढते ? 
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जैसे-तैसे ही घाव सूखे थे दिल के
मगर जालिम, आज फिर देख के मुस्कुरा गया हमको ?
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उनकी ये अदा भी 'उदय', आज हमको खूब भा रही है
पीठ अपनी, ............... वे खुद ही थप-थपा रहे हैं ?
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Monday, June 3, 2013

कट-पेस्ट ...

कृपया कुत्तों औ कुकुरमुत्तों में भेद बताओ तो 'उदय'
तनिक हम भी तो जानें, कौन कुत्ता औ कौन कुकुरमुत्ता है आज ?
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उनकी लेखनी में दम-ख़म न सही
पर, चमचों की झूठी वाह-वाहियों ने, उन्हें लेखक बना ही दिया 'है उदय' ?
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अब-जब, दिल-औ-जज्बात टूट ही गए हैं 'उदय'
फिर, क्या रक्खा है दिल के झूठे ख्यालातों में ?
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बड़े गुस्से में लग रहे हो मियाँ
सिर्फ जज्बात टूटे हैं, या दिल भी तोड़ दिया है उन्ने ?
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हमारी वाल से कट किया, औ अपनी वाल पे चेंप दिया
कुछ इस तरह उन्ने 'उदय', खूब वाह-वाही बटोरी है ??
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