Wednesday, December 12, 2012

रिवाज ...


मुश्किल घड़ी में,... ये कैसा इम्तिहान है 'उदय' 
जवाब ख़त्म होने को हैं पर उनके सवाल नहीं ? 
... 
सच ! किसी न किसी से, तुम हर पल घिरे होते हैं 
अब कैसे सुनायें तुम्हें, हम अपने दिल की यारा ? 
... 
न वफ़ा, न बेवफाई 
मेरे महबूब......... ये कैसे रिवाज हैं ? 

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया!!

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत ख़ूब हैं ये रिवाज