Wednesday, October 31, 2012

सौदा ...


हम जानते हैं, वे हमसे, कभी बेवजह खफा नहीं होते 
अब 'खुदा' ही जानता है, .... क्या खता हुई है हमसे ?
... 
वैसे तो 'उदय', हरेक दामन, दागदार है आज 
कितना अच्छा होता, उनमें, एक वो न होते ? 
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कल, भीड़ में भी .... तुम हमें तन्हा दिखे 
अब बोल भी दो, है क्या वजह तन्हाई की ? 
... 
गर आज उसने, जिस्म का सौदा न किया होता 
तो शायद, बच्चे उसके ... भूखे ही सो गए होते ? 
... 
लो, ये भी खूब रही, न चाल बदली, न चरित्र बदले 
बस, ...................... चेहरे बदल लिये हैं उन्ने ?