Tuesday, October 30, 2012

फकीरी ...


वैसे तो 'उदय', वो जेब से 
खानदानी ... 
करोड़ों का आदमी है !

पर, 
देख फकीरों को, 
खुद फ़कीर-सा हो जाता है !

क्यों ? 
क्योंकि - 
न देना पड़ जाए ... 
उसे, चवन्नी तक जेब से !!