Monday, August 13, 2012

इंसाफ ...

उन्हें तुम, उनके ही हाल पर 
छोड़ दो यारो 
वैसे भी -
अब उनमें कीड़े पड़ने लगे हैं ? 
अब वो -
सड़ने लगे हैं ... 
कब्र की ओर, पांव उनके 
खुद-ब-खुद बढ़ने लगे हैं ??
देर नहीं है ...
अंधेर भी नहीं है 'उदय' 
इंसाफ में ... 
किसी के मारे बगैर ही 
वे खुद-ब-खुद मरने लगे हैं ??? 

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

गहरे कटाक्ष हैं..