Tuesday, June 19, 2012

ढोंग ...


खता न कुसूर, और फांसी की सजा 
ये मेरा मुल्क है, या कसाई का घर ? 
... 
नाज कर, गुमान कर, पर घमंड न कर 
ये तेरी खुबसूरती को शोभा नहीं देता ? 
... 
शाखें कतरने का, तुम ढोंग न करो 
गर नफ़रत मिटाना चाह है तो जड़ें काट दो !

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