इस दौड़ को दौड़कर हम क्या कर लेंगे 'उदय'
यहाँ पर कौन है जो फिक्स नहीं है ?
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सच ! अब हुनर की कोई कीमत नहीं रही
लड़इयों की हुआ-हुआ तमगों की शान है !
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गर मुझे कोई और जुबां आती, तो मैं उसमें बात कर लेता
मगर, दुःख इस बात का है कि - उन्हें हिन्दी नहीं आती ?
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