"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
गहरा, क्रोध और क्षोभ भला कहाँ छिप पाता है।
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