Saturday, April 21, 2012

शोहरत ...

न जाने क्यूँ 'उदय', आज के दौर में भी उसने ईमानदारी की ठानी है 
उफ़ ! देखते ही देखते, उसकी लुटिया तक बिक जानी है !!
... 
उफ़ ! कुछ लोग हैं 'उदय', जो फेसबुक पे भी अकड़ के बैठते हैं 
कोई समझाए उन्हें, यहाँ पांव छूने-छुआने का चलन नहीं है !!
... 
एक हम हैं 'उदय', जो जगहंसाई से बचते-बचाते फिरते हैं 
और एक वो हैं, जो जगहंसाई को भी, शोहरत समझते हैं ! 

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

अब ठान ली तो ठान ली।