Wednesday, March 14, 2012

कर्म ...

"सामान्यतौर पर मनुष्य के जीवन काल में उसके कर्मों के फल तत्कालीन तौर पर लाभप्रद परिलक्षित होते हैं किन्तु जब तक इस रहस्य से पर्दा नहीं उठ जाता कि मनुष्य के कर्म उसके मरने के बाद उसे किस रूप में फल प्रदान करेंगे तब तक यह निश्चय करना बेईमानी होगा कि अच्छे या बुरे कर्मों के दूरगामी परिणाम क्या होंगे ... पर हाँ, बड़े बड़े खंड़हर हो चुके महलों व इमारतों को देखकर ऐंसा अनुमान तो लगाया ही जा सकता है कि उनमें रहने वाले राजाओं, महाराजाओं, सूरमाओं, सुल्तानों की न सिर्फ सल्तनतें व बादशाहतें नष्ट हुई हैं वरन उनकी पीढियां भी स्वाहा हो गई हैं इसलिए इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि यह उनके बुरे कर्मों की परिणिती है ... अत: सदभावनापूर्ण कर्म हमारे जीवन में सोच व व्यवहार के हिस्से होने चाहिये !"

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

किसी का कुछ भी न रहा, कर्म भी नहीं, सब भुला दिये गये।