Monday, January 16, 2012

उम्मीद ...

साहित्यिक समर में
अब तक
समय समय पर
शब्द नहीं
चेहरे तलाशे जाते रहे हैं
चेहरे तलाशे गए हैं, चेहरे पूजे गए हैं !

पर, इस बार
साहित्यिक समर में
समय है
नए कदमों के सांथ
नई राह की ओर बढ़ने का
नए पदचिन्ह के निशां पीछे छोड़ने का !

उम्मीद है
इस बार, चेहरे नहीं टटोले जाएंगे !
उम्मीद है
इस बार, चेहरे नहीं पूजे जाएंगे !
उम्मीद है
इस बार, चेहरे नहीं, शब्द विजित होंगे !!

7 comments:

आपका अख्तर खान अकेला said...

uday bhaai bhtrin rchna ke liyen bdhaai .akhtar khan akela kota rajsthan

प्रवीण पाण्डेय said...

शब्द-क्षेत्र में शब्द पूज्य हो।

सदा said...

बेहतरीन प्रस्‍तुति

कल 18/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है,जिन्‍दगी की बातें ... !

धन्यवाद!

Rajesh Kumari said...

shabd vijit honge..sateek baat achchi prastuti.

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही बढ़िया सर!


सादर

vidya said...

hmmmmmmmmmmm

उम्मीद तो है....
बढ़िया !!

Vandana Ramasingh said...

शब्द की जय हो विजय हो