रूठ कर तुमने अच्छा न किया
सच ! मैं बुरा था, तो कह देते !!
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दिल तो कहता है, कि मैं तेरा हो जाऊं
सच ! अब मन की, कैसे मैं न कह दूं !!
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'खुदा' होना था, तो हो जाते, किसने रोका था ?
कम से कम, दोस्ती का हुनर तो ज़िंदा रखते !!
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सच ! लोग हैं कि दुश्मनों से आस लगाए बैठे हैं
जी तो करता है, कि हम भी दुश्मन हो जाएं !!!
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झूठी शान में भी वो शान से ज़िंदा हैं
किसी को क्या, जब वो खुद नहीं शर्मिन्दा है !
2 comments:
झूठी शान में भी वो शान से ज़िंदा हैं
किसी को क्या, जब वो खुद नहीं शर्मिन्दा है ! ....bahut badhiya...
मन को कहीं पर कुछ न कुछ ही, सालता तो हो..
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