Wednesday, December 21, 2011

अकड़ ...

सच ! ये अकड़ रहे हैं
कुछ ज्यादा ही अकड़ रहे हैं !
इनकी आदत तो है -
अकड़ने की !
पर, इस बार कुछ ज्यादा ही -
अकड़ रहे हैं !!

भ्रष्ट, घुटालेबाजों को -
अकड़ना चाहिए
पर, इतना ज्यादा नहीं !
जितना ये -
इस बार अकड़ रहे हैं !!

आज नहीं तो कल, इनकी -
अकड़
हेकड़ी
घमंड
टूट के, चूर चूर हो जाना है !
क्यों, क्योंकि -
जनसंसद सब समझ रही है !!

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