Saturday, December 17, 2011

... तूफां भी ठहर जाएगा !

वक्त की ओट में बैठा रहेगा कब तक तू
बढ़ आगे, ये तूफां भी ठहर जाएगा !
...
यहाँ पर कौन है जिसको ख्याल अपना है
जिसको देखो, वही खोया खोया है !
...
यूँ न समझो कि तेरे झूठे इल्जाम से डर जाएंगे
मान जा, वर्ना ! तुझ पे भी एक इल्जाम लगा जाएंगे !!
...
कहाँ फुर्सत किसी को है, जो बातें तेरी सुन लें
बहरे हो रहे हैं लोग, अब हंगामा जरुरी है !
...
न रंज-ओ-गम होगें, न शिकवे-गिले होंगे
यकीं से आ गले लग जा, नहीं अब फासले होंगे !

3 comments:

आपका अख्तर खान अकेला said...

uday bhai gzab ki taaqt hai jo tufaan ko rok diya hai jnaab ne bdhaai ho bhtrin rchnaa ke liyen . akhtar khan akela kota rajsthan

प्रवीण पाण्डेय said...

वक्त की ओट में बैठा प्यारे,
तूफाँ के पहले तू न गुजर जाये।

Rajesh Kumari said...

bahut achchi ghazal.