Saturday, July 31, 2010

दोस्ती दिवस


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मौक़ा-परस्ती का हुनर, बेजोड़ हो गया
कल जो था गाँव का गंगू, आज सेठ गंगाराम हो गया |
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हमारी दोस्ती, 'खुदा' बन जाए, है इच्छा
अब खुशबू अमन की, 'खुदा' ही बाँट सकता है ।


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Friday, July 30, 2010

खाओ-पिओ ..... मौज-उडाओ !

इडली-दोसा
सादा-सादा
छोले-भठूरे
तीखा-तीखा
पाव-भाजी
मौजा-मौजा
गुपचुप-चाट
सरपट-सरपट
खाओ-पियो
मौज-उडाओ

दही-समोसा
जलेबी-रबडी
हलुवा-पुडी
माल-पुआ
रस-मलाई
मलाई-चाप
खाओ-पिओ
मौज-उडाओ

दाल-बाटी
बैगन-भर्ता
चटनी-टमाटर
लिट्ठी-चोखा
चिकन-तंदूरी
चिल्ली-चिकन
मटन-बिरयानी
कीमा-कलेजी
सूतम-सूत
डकार-डकार
खाओ-पिओ
मौज-उडाओ !

शेर


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अब अंधेरों को, गुफाओं की जरुरत है कहाँ
गरीबों के बसेरों में, अंधेरे ही अंधेरे हैं |

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Thursday, July 29, 2010

मंहगाई-डायन !

नमक-मिर्ची
धनिया-टमाटर
रगड़-रगडा
पीसम-पीस

सिल-लोडा
घिसा-घिसी
तीखी-चटनी
गजब-स्वाद

ऊंगली-चाटम
आंसू-पकम
माटर- कम
मिर्ची-ज्यादम


चटनी-कम
चावल-ज्यादा
खाए-जात
मंहगाई-डायन !

Wednesday, July 28, 2010

ब्रेकिंग न्यूज .... रायपुर में ब्लॉगर संगोष्ठी की संभावना !!!

... ब्रेकिंग ... ब्रेकिंग ... ब्रेकिंग न्यूज .... विश्वशनीय सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ प्रदेश की राजधानी रायपुर में एक ब्लॉगर संगोष्ठी के आयोजन की तैयारी चल रही हैं अब तक मिली जानकारी इस प्रकार है ........... ....... ......

संगोष्ठी का विषय:- "ब्लागर एवं विचार"...... इस विषय पर एक सार्थक चर्चा .

स्थान:- निरंजन धर्मशाला वी आई पी रोड़ रायपुर

दिनांक:-30 जुलाई 2010 शुक्रवार

समय:- रात्रि -9 बजे से

विस्तृत जानकारी के लिए संपर्क का प्रयास जारी है ... आप भी इन नंबरों पर संपर्क कर जानकारी ले सकते हैं .... 9303508176 / 9753302502 / 9425514570 ....

..... हम मिलते हैं ... ब्रेक के बाद ... नई व ताजा-तरीन जानकारी के साथ ... !!!

Tuesday, July 27, 2010

..... क्योंकि वह पाठक है !

लिखो, खूब लिखो
पर पढेगा कोई नहीं
अगर पढेगा भी
तो अभिव्यक्ति
जाहिर नहीं करेगा

क्यों नहीं करेगा !
उसकी मर्जी
करे तो ठीक
न करे तो ठीक
कोई जोर-जबरदस्ती
तो है नहीं
वह भी अपनी
मर्जी का मालिक है

आखिर वह भी पाठक है
उसका भी स्वाभिमान है
मान है, मर्यादा है
अच्छा - बुरा जानता है
समझता है
कोई उस पर दवाब
कतई नहीं डाल सकता

दवाब डालना
उचित भी नहीं है
क्या उसने आप पर
दवाब डाला
लिखने के लिए
नहीं, कतई नहीं डाला

फिर आप कौन होते हो !
उसे बाध्य करने के लिए
अभिव्यक्ति के लिए
ज़रा सोचो
अगर पाठक न हों
तो आपके लिखने का
औचित्य क्या रहेगा

इसलिये लिखो
उसे पढ़ने दो
अपनी-अपनी
मर्जी के साथ
मौज के साथ
भावनाओं के साथ
संवेदनाओं के साथ
क्यों, क्योंकि वह
पाठक है !

मोहब्बतें

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क्या थी मोहब्बतें, क्या जज्वात थे, फर्क था तो सिर्फ इतना
कोई हमें चाहता रहा, और हम किसी को चाहते रहे |

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Sunday, July 25, 2010

शेर

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जब धडकनें दिलों की सरेआम हो जाएं
तब कर लो गुनाह ये कहकर, मोहब्बत है - मोहब्बत है।
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Saturday, July 24, 2010

जय जय ब्लागिंग !!!

क्या पोस्ट है
हिट है
टिप्पणियों की भरमार है
हिट है
ब्लागरों की भीड़ है
हिट है
माडरेशन का दौर है
हिट है

हिट थी
हिट है
पर आज सुपर हिट है
हिट है
ब्लोगिंग एक खेल है
हिट है
जय जय कार है
हिट है
जय जय ब्लागिंग !!!

Friday, July 23, 2010

शेर

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हमने यूं ही कह दिया, क्या माल है
वो पलट कर आ गये, कहने लगे खरीद लो।
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Thursday, July 22, 2010

"रचना जी" व "फ़िरदौस जी" आप सादर आमंत्रित हैं !

विगत दिनों मैंने एक पोस्ट लगाई थी ... खुबसूरती को अश्लीलता की निगाह से क्यों देखते हैं हम !!... इस पोस्ट पर लगे फ़ोटोग्राफ़्स को देखकर "रचना जी" "फ़िरदौस जी" ने तीखी टिप्पणी दर्ज की थी ... बाद में मैंने समर्थन व विरोध में दर्ज की गई सारी टिप्पणियों को डिलीट कर दिया था तथा फ़ोटोग्राफ़्स भी हटा दिये थे ... इस पोस्ट के बाद से कुछ बुद्धिजीवी वर्ग व महिला वर्ग के ब्लागर मेरे इस ब्लाग पर टिप्पणी दर्ज नहीं कर रहे हैं और संभव है वो पढने भी नहीं आ रहे होंगे ... उसके बाद से ही मैंने एक अलग बिलकुल साफ़-सुथरा ब्लाग ... "उदय की दुनिया" ... तैयार किया ताकि जो लोग इस ... कडुवा सच ... रूपी अखाडे पर अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा रहे हैं कम से कम वे लोग मेरे लेखन को नये ब्लाग पर पढ सकें ..... बुद्धिजीवी वर्ग व महिला वर्ग के ब्लागर ... खासतौर पर "रचना जी" व "फ़िरदौस जी" आप सादर आमंत्रित हैं ... मेरे नये ब्लाग ... उदय की दुनिया ... पर ... साथ ही साथ सभी ब्लागर साथियों आप सब का भी मैं स्वागत करता हूं ... धन्यवाद ... !

Wednesday, July 21, 2010

गुरुमंत्र ... कुत्ता बना आदर्श !

केन्द्र सेवा के एक अधिकारी सुबह सुबह मेरे घर पर विराजमान हुये उन्हें देखकर मैं हैरान हुआ व सोच में पढ गया कि ये महाशय यहां कैसे व किस कारण से पधारे हैं, चाय-पानी के दौरान मैंने पूछा कैसे आना हुआ, जवाब मिला गुरु जी मैं नया नया नौकरी में आया हूं मेरी प्रथम पोस्टिंग है आपके शहर में, मेरे पिता जी आपके बहुत बडे फ़ैन हैं आपकी लिखी हुई ऎसी कोई लाईन नहीं होगी जो उन्होंने पढी न हो !

जब मैं घर से निकला यहां ज्वाईनिंग के लिये तब पिता जी ने स्पष्ट शब्दों में कहा - बेटा वहां पहुंच कर सबसे पहले आप से मिल लेना तथा नौकरी में सफ़लता का गुरुमंत्र ले लेना, सो आपके पास आया हूं गुरुमंत्र लेने ... अरे मैं कोई पंडित-वंडित नहीं हूं ... हां पता है आप एक जाने-माने लेखक हैं ... फ़िर मैं कैसे मंत्र दे सकता हूं ... मेरे पिता जी ने जब आपके पास भेजा है मतलब वो यह जानते व विश्वास रखते हैं कि आपसे ज्यादा अच्छा मुझे कोई दूसरा गुरुमंत्र नहीं दे सकता !

मैं चाहता हूं कि आप मुझे ऎसा मंत्र दें जिसे पाकर मैं सफ़लता ही सफ़लता प्राप्त कर सकूं ... चलो ठीक है तो सुनो ... देखो सामने जो मेरा कुत्ता बंधा है उसे गौर से देखो और आज से तुम कुत्ते को अपना आदर्श मान लो ... उसके पांच महत्वपूर्ण गुण अर्थात मंत्र तुम्हें बताता हूं गौर से सुनो ... पहला - तलुवा चाटना अर्थात पैर चटना ... दूसरा - दुम दबाना ... तीसरा - दुम हिलाना ... चौथा - गुर्राना अर्थात भौंकना ... पांचवा - काट लेना ...

... हर समय कुत्ते को अपने जहन में रखना तथा ये सोचना कि सामने जो व्यक्ति आया है ... उसके पैर चाटना हितकर होगा ... या उसके सामने दुम दबाना हितकर होगा ... या उसके सामने दुम हिलाना हितकर होगा ... या उसे गुर्राना-भौंकना हितकर होगा ... या फ़िर सीधा उसे काट लेना हितकर होगा ... जो तत्कालीन हालात में उचित लगे वैसा-वैसा करते जाना ... सफ़ल हो जाओगे अर्थात सफ़लता तुम्हारे कदमों को चूमेगी ... मेरी बातें अर्थात मंत्र तुम्हें जरा अट्पटा जरुर लग रहा होगा पर आज के युग में सफ़लता का यही मूल मंत्र है !

महाशय आशीर्वाद लेकर चले गये ... सोमवार टू सोमवार हर हफ़्ते आते और आशीर्वाद लेकर चले जाते ... सब मौजा-ही-मौजा ... लगभग तीन साल कैसे गुजरे पता ही नहीं चला ... फ़िर अचानक एक दिन चिंतित मुद्रा में नजर आये ... मैंने पूछा क्या हुआ ? ... कुछ नहीं गुरुजी सब ठीक चल रहा था एक छोटी सी गल्ती हो गई है मैंने एक ऎसे आदमी को काट खाया है जो सी.एम.साहब का पुराना खास आदमी है और सालों से उनके तलवे चाट रहा है और मुझे तो अभी जुम्मा-जुम्मा ही हुआ है !

उफ़ ... खैर कोई बात नहीं जिसको काटा है वह मरा तो नहीं ... नहीं लेकिन बहुत पावरफ़ुल है ... एक काम करो जो हो गया उसे मिटा तो नहीं सकते पर सुधार जरुर सकते हो, किसी माध्यम से जाओ उसके पास और तीसरा गुण अर्थात मंत्र - दुम हिलाना का पालन कर लो सब ठीक हो जायेगा ... लेकिन सिर्फ़ तीसरे मंत्र का ही पालन करना ... ठीक है गुरुजी ... प्रणाम !

... पन्द्रह दिन बाद ... गुरुजी आपके आशीर्वाद से सब ठीक हो गया मेरा प्रमोशन हो गया है और राजधानी में सी.एम.साहब ने मेरी पोस्टिंग कर दी है कह रहे थे तुम यहीं आकर काम करो ... आपके गुरुमंत्र ने मेरा जीवन ही सुधार दिया है मैं कहां-से-कहां पहुंच गया हूं जिसकी कल्पना करना भी असंभव था ... धन्य हैं मेरे पिता जी और उनकी दूरदर्शिता ... और धन्य हैं आप ... प्रणाम गुरुदेव ... प्रणाम !!

टिप्पणियों का फ़र्जीवाडा

जिस पोस्ट पर हमने
प्यार से दो-दो टिप्पणी ठोकीं
आज वही पोस्ट
मेरी पोस्ट से आगे निकली

लेकिन अफ़सोस
कि उस ब्लागर ने
किया फ़र्ज अदा अपना
कम से कम एक टिप्पणी की
नजाकत तो बनती थी
उसकी एक टिप्पणी से
मेरी पोस्ट नंबर दो पे होती

खैर कोई बात नहीं
जो पोस्ट नं- पर है
उसकी बुनियाद भी
मेरी टिप्पणी पर है

यहां तक तो सफ़र
बिना अफ़सोस के गुजरा था
जब आई बात नं- की तो
मेरी पीठ पर खंजर उतरा था

इस पोस्ट की
नं- और नं- ने
जो खुशामद की थी
दो-दो ठोक कर टिप्पणी
अदावत की थी

चलो कोई बात नहीं
हम हार के खुश हो लेते हैं
जीतने वालों को दुआ देते हैं
इन हालात में
और क्या कहते हम
ब्लागिंग को अलविदा कहते हैं !!!

Tuesday, July 20, 2010

... लगता है हमारे बडे भईय्या श्री अरविंद मिश्रा जी पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो गये हैं !!!

... लगता है हमारे बडे भईय्या श्री अरविंद मिश्रा जी पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो गये हैं तब ही तो उन्होंने मेरी पिछली पोस्ट पर यह टिप्पणी दर्ज की है ... देखिये आप स्वयं देखिये उनकी टिप्पणी ... हू-व-हू इस प्रकार है :-

Arvind Mishra said...

वाह ,अग्रिम बधाईयाँ -ये वही वाली है ना ?स्खलन !पुस्तक निश्चित ही जोरदार होनी चाहिए -मेरी एक प्रति अडवांस बुक कर दें

...यहां मैं सिर्फ़ इतनी ही चर्चा करुंगा कि मेरी यह पोस्ट एक धुरंधर ब्लागर की आने वाली पुस्तक के "विमोचन" के संदर्भ में थी जिसमें "स्खलन" विषय की कोई चर्चा ही नहीं थी यकीन न हो तो आप स्वयं पिछली पोस्ट देख सकते हैं ... मुझे तो यह लग रहा है कि हमारे बडे भईय्या कहीं पूर्वाग्रह से ग्रस्त तो नहीं हो गये हैं ... नहीं, नहीं ऎसा नहीं हो सकता शायद जल्दवाजी में यह टिप्पणी हो गई होगी ... क्योंकि वो "ओवर-आल" हमारे बडे भईय्या हैं !

Monday, July 19, 2010

ब्रेकिंग न्यूज ... एक धुरंधर ब्लागर की किताब "विमोचन" की ओर !!!

विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि "ब्लागजगत" के एक "धुरंधर ब्लागर" की नई "किताब" छप रही है जो एक सप्ताह के भीतर ही पाठकों के लिये उपलब्ध हो जायेगी ... सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार इस पुस्तक का "विमोचन" बडी धूम-धाम से होने की संभावना है जिसमे लगभग दस-पन्द्रह ब्लागरों के उपस्थित रहने की संभावना बन रही है ... साथ ही साथ यह भी कयास लगाये जा रहे हैं कि पुस्तक का "विमोचन" प्रदेश के मुख्यमंत्री या राज्यपाल अथवा देश के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व से कराये जाने की संभावना है ... हमारे गुप्तचर नई जानकारी के लिये लगे हुये हैं अभी तक मात्र "पुस्तक" का "कवर पेज" ही प्राप्त किया जा सका है जो अवलोकनार्थ प्रस्तुत है ... पुस्तक के लेखक अर्थात धुरंधर ब्लागर से मिलने व टेलिफ़ोनिक संपर्क का प्रयास किया गया जो "कवरिंग क्षेत्र" से बाहर हैं ... फ़िलहाल हमारी "कडुवा सच" टीम की ओर से उन्हें अग्रिम बधाई व शुभकामनाएं ... मिलते हैं ब्रेक के बाद ... नई ताजा-तरीन जानकारी के साथ ... !!!

Sunday, July 18, 2010

शेर



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काश तनिक हम भी, बेईमान हो गये होते
खुद के नहीं तो, किसी के काम आ गये होते।

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यहां सब कुछ जायज है !!!

Saturday, July 17, 2010

...................... ब्लागिंग नशा है !!!

ब्लागिंग नशा है
हम आदि हैं
रोज लेते हैं मजा
चुस्की की तरह

कभी एक पोस्ट में ही
हो जाता है नशा
और कभी
फ़ट जाता है नशा
एक ही टिप्पणी से

और जब कभी
बढ जाता है नशा
तो भटकते फ़िरते हैं
ब्लाग दर ब्लाग
ठोकते-पीटते टिप्पणियां
किसी को खरी-खोटी
तो किसी को चिकनी-चुपडी

जब उतरता है नशा
तो वापस पहुंचते हैं
अपनी ब्लागरूपी कस्ती पे
और सो जाते हैं
शट-डाउन कर
नशे मे चूर हो कर !

Friday, July 16, 2010

एक नई मंजिल की ओर !

एक मन था
जो बेचैन हुआ था
क्यों था
ये पता नहीं था
कब तक रहती
पीड़ा मन में
और कब तक रहता
संशय मन में
कब तक मैं समझाता मन को
और कब तक
मन समझाता मुझको

कब तक रहता सन्नाटा
और कब तक रहती खामोशी
मौन टूट पडा था मेरा
हां कहकर
फिर मौन हुआ था
तब तक मन तो
झूम उठा था
एक नई सुबह
नई भोर हुई थी
नई राह पर चल पडा था
मन आगे
और पीछे मैं था
एक नई मंजिल की ओर !

Thursday, July 15, 2010

गधा होना गर्व की बात हो गई है !

शहर में दो मित्र घूम रहे थे एक पत्रकार दूसरा लेखक ... घूमते घूमते अचानक शहर में सड़क पर एक गधा दिख गया, गधे को देखते ही पत्रकार मित्र भौंचक भाव से बोला, भैया आजकल गधे दिखना बंद हो गए हैं, अपना सौभाग्य है की आज गधा दिख गया ... सच कह रहे हो गधे को असल रूप में देखना निश्चित ही सौभाग्य की बात है क्योंकि आजकल गधे असल रूप में दिखकर बहरूपिये रूप में ही दिखते हैं !

क्यों मजाक कर रहे हो भैया ! ... मजाक नहीं कर रहा हूं दोस्त ... आजकल गधों की संख्या बहुतायत हो गई है किन्तु वे भेष बदल बदल कर घूमते हैं इसलिये पहचान में नहीं रहे हैं ... वो कैसे भैया ? ... गधे बोझा ढ़ोने का काम करते थे आज भी कर रहे हैं लेकिन बहरूपिये बनकर ... कुछ समझ नहीं पा रहा हूं की आप क्या कह रहे हैं !

अरे यार,अपने सिस्टम में चारों तरफ नजर दौडाओ ... गधे ही गधे दिख जायेंगे ... जो किसी किसी का बोझ ढो रहे हैं ... हुआ दरअसल ये है की सिस्टम के माई-बाप भी गधे ... पसंद हो गए हैं, इसलिये ही उन्होनें सारे घोडों को अस्तबल में बांध दिया है और गधों से काम चला रहे हैं, ... ठीक ही है, इसी बहाने वे दुलत्ती पटकनी खाने से बचे हुए हैं ... जिसका जितना मन करता है उतना बोझा लाद देता है और गधा उनके इशारे पे इधर-उधर चलते रहता है !

बस भैया बस, समझ गया, और आगे कुछ मत बोलो नहीं तो मुझे भी लगने लगेगा की मैं भी गधा हूं ! ... नहीं अभी तू पूरी तरह बहरूपिया नहीं बन पाया है मेरे साथ घूमना-फिरना बंद कर, जा किसी को अपना आदर्श मान ले, तू भी तर जायेगा ... चल एक काम कर अभी तो तू दूर से ही असल गधे को नमस्कार कर ले शायद कुछ आशीर्वाद मिल जाए और तू किसी बहरूपिये का बोझ ढ़ोने से बच जाए ... वैसे भी अपने सिस्टम में गधा होना ... मतलब बहरूपिया होना गर्व की बात हो गई है, पर खुशनसीबी भी है जो नोटों से भरे बोरे ढो रहे हैं !!

Tuesday, July 13, 2010

क्या आप जानते हैं " ZEAL @ दिव्या " कौन है !!!

क्या आप जानते हैं कि ZEAL @ दिव्या कौन है !!!..... यदि नहीं, तो जानने का प्रयास कीजिये ... शायद आप जान जाएं ... इस थाईलैंड निवासी नवोदित ब्लागर ने बहुत तेज गति से ब्लागजगत में अपना स्थान बनाया है जो निश्चिततौर पर बधाई के योग्य है ... और मैं उन्हें बधाई देता हूं , बधाई दिव्या जी .... साथ ही साथ एक दिन पहले ही उन्होंने ब्लागजगत में "एक माह" पूर्ण किया था उसकी भी बधाई दिव्या जी ... और हां आज तो बहुत ही खास दिन है आपके जीवन का .... जन्मदिन ... जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं .... ब्लागर साथियों ब्लागजगत के इस नवोदित ब्लागर को आप भी बधाई प्रषित करें ... पर क्या आप जानते हैं कि ZEAL @ दिव्या कौन है ???????????????????

Monday, July 12, 2010

आक्टोपस बाबा की गुप्त रहस्यमयी शक्तियां !!!

इसकी आठ लचीली भुजाएँ होती है जिनके ऊपर भीतर की ओर अवृंत चूषक की दो पंक्तियाँ होती हैं, इन्हीं बाहुओं के सहारे यह आत्मरक्षा करता है या शिकार पकड़ता है।
आक्टोपस का एक समुद्री प्राणी है इस रात्रिचर जीव को डेविलफिश भी कहते हैं, आक्टोपस का कोमल, गोलाकार या अंडाकार शरीर दस सेंटीमीटर से लेकर करीब बीस फुट तक लंबा हो सकता है।
आक्टोपस दुनिया का सबसे बुद्धिमान अकशेरुकी जीव माना जाता है।

सभी आक्टोपस जहरीले होते हैं परन्तु सिर्फ नीले छ्ल्ले वाले अक्टोपस का विष ही मनुष्य के लिए घातक होता है, यहां तक कि इसे दुनिया के सबसे विषधर जीवों में से एक माना जाता है।
क्रमश: .... गुप्त शक्तियां अगले भाग में .... !!!

Sunday, July 11, 2010

क्या हम गुलाम हैं !

..... यह मनन करने योग्य है, सुबह से उठकर रात के सोने तक क्या हम वह ही करते हैं जो मन कहता जाता है, चाय, दूध, नाश्ता, पान, गुटका, जूस, मदिरा, वेज, नानवेज, प्यार, सेक्स, दोस्ती, दुश्मनी, चाहत, नफ़रत ... संभवत: वह सब करते हैं जो मन कहता जाता है .....

क्या हम मन के गुलाम हैं !

Saturday, July 10, 2010

काफ़ी हाऊस ... टी.व्ही. न्यूज एंकर टेंशन में !!!

काफ़ी हाऊस ... दोपहर का टाईम ... बोले तो टाईम पास का टाईम ... टाईम पास बोले तो थोड़ा फ़ुर्सत का टाईम ... मतलब चाय, काफ़ी, सिगरेट बगैरह बगैरह ... अरे भाई ये तो कहने का है, सच बोले तो टेंशन का टाईम ... टेंशन बोले तो नौकरी का टेंशन, खबर का टेंशन, न्यूज का टेंशन, बॉस का टेंशन .... टेंशन ही टेंशन भाई ... अरे यार इतना टेंशन तो काए को नौकरी करता है ... इसीच्च लिये तो इधर बैठा है भाई ... चल चल टेंशन लेने का नहीं अपुन गयेला है ... अपुन बोले तो अपुन का बॉस "उदय" रहेला है ... झक्कास ... अभीच्च आप लोगों का टेंशन ... बोले तो चुटकी में खल्लास ... "उदय" कौन ... बोले तो कुछ भी नहीं पर बहुत कुछ है ... कुछ लिखता-पढता है .... "सॉलिड दिमाग" रखता है भाई ...

... "उदय" का इंट्री ... बोले तो ... काफ़ी हाऊस चका-चका ... सब टाईम-टू-टाईम ... बॉस सल्यूट मारता है ... हां हां क्या हाल चाल है .. सब झक्कास बॉस ... आपका आर्डर रेडी हो रहेला है ... बस एक-दो मिनट ... बॉस, बाजु बाला टेबल मे कुछ टेंशन ... बता बता क्या बात है ... बोले तो बडे लोग हैं ... चल चल बोल, छोटा-बडा छोड ... भाई ये सब टेंशन में बैठेईला है ...क्या हुआ बता ... टी.व्ही. न्यूज वाले हैं ... बता बता क्या बात है ... इनका नौकरी खतरे में लग रहेला है ... कुछ मदद मांगता क्या? ... हां बॉस ... बुला बुला ...

... "उदय" की टेबल पर न्यूज चैनल वाले ... आईये आईये ... कैसे हैं ... कुछ खास नहीं बस यूं ही ... बोलो बोलो अभी अभी ये वेटर बोल रहा था कि आप लोग टेंशन में है ... हां 'उदय भाई' टेंशन तो है पर क्या बताएं शर्म आती है ... बिंदास बोलो क्या बात है ... सभी एंकर एक साथ बोल पडे ... बॉस का टेंशन है भाई ... बोले तो बास चाहता है कि कुछ नया करो ... नया करो ... पच्चीस न्यूज चैनल चल पडेला है ... नया खबर लायें तो कहां से लायें ... बस यहीच्च टेंशन है ... बस इत्ती सी बात ...

... तुम लोग सारी दुनिया को टेंशन देता है और खुदिच्च टेंशन में हो ... सब लोग कान "खुजा" के बैठो अपुन एक बार बोलेगा ... रिपीट करने को नई मांगता ... पाव-भाजी, समोसा-गुपचुप दिखाया हिट था ... पानी पर चलना दिखाया हिट था ... रावण का ममी दिखाया हिट था ... अब गौर से सुनो ये कोई खबर था क्या ... नई था सब बकवास था ... पर हिट था ... ये अपुन के देश का जनता है ... हर टाईम टोपी पहनने को घूमते रहता है बस नया आदमी चाहिये टोपी पहनाने वाला ... लो एक "मंत्र" ले जाओ ... सब लोग अपने अपने बॉस के कान में "फ़ूंक" दो ... "मायने यह नहीं रखता कि पब्लिक क्या देखना चाहती है, मायने यह रखता है कि हम क्या दिखाना चाहते हैं" ... क्या समझा ... बोले तो ... "मायने यह नहीं रखता कि पब्लिक क्या देखना चाहती है, मायने यह रखता है कि हम क्या दिखाना चाहते हैं" ... थैंक्यू बॉस ... थैंक्यू ... !!!!

Friday, July 9, 2010

शेर

जब से छोडी हैं बच्चों ने उडानी पतंगें
तब से आसमां भी बदरंग-सा लगने लगा है।

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दिनों में जिंदगी का सफ़र होता कहां पूरा
इसलिये रातों में भी जाग लेता हूं।

Thursday, July 8, 2010

................. बस इतनी ही गर्म-जोशी है !!!

क्या तेरे भीतर
बस इतनी ही गर्म-जोशी है
जो मुझे देखते - देखते
तू हो जाता है स्खलित

क्या अब भी तुझे
है घमंड
मर्द होने का
या कुछ बचा है
डींगें हांकने को

ये तेरा दोष नहीं
मेरा जिश्मानी हुनर है
जो तुझे कर देता है
पल पल में व्याकुल

हां मुझे खबर है
मेरे जिस्म के अंग
हैं कितने मादक
जिसे देखने को
तू रहता है कितना आतुर

पर क्यों
क्या तेरी जिज्ञासा
बस इतनी ही है
जो पल भर में
कर देती है
तुझको
स्खलित

जरा सोच जब तू देखेगा
मुझको
सिर से पैरों तक
निर्वस्त्र ..... तब तेरी आंखें
क्या रह पायेंगी स्थिर
या फ़िर तू मुझे देखते देखते
हो जायेगा फ़िर से स्खलित

क्या यहीं तक है तेरी मर्दांगी
या फ़िर अब भी बचा है कुछ
डींगें हांकने को, दम भरने को
चुप क्यों है, कुछ कह दे
नहीं तो मर्दांगी तुझे धिक्कारेगी

मत हो व्याकुल, तब भी मैं
तुझे उद्धेलित कर
सवार
कर लूंगी खुद पर
और तुझे पार लगा दूंगी
खुद स्खलित होकर !

मैं नारी हूं
क्या भूल गया तू
तुझे गर्भ में रखकर
एक नारी ने ही पाला-पोसा है
फ़िर कैसे तू खुद को ... !!!

( विशेष नोट :- इस रचना में एक नारी के मनोभावों को पढने का प्रयास किया गया है !)
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धर्म - अधर्म

Wednesday, July 7, 2010

मंहगाई ...

मंहगाई, जितनी बढती है, बढने दो
मंहगाई है, अगर मंहगाई नहीं बढेगी
तो फ़िर क्या बढेगा !

वैसे इस देश में, बढने-बढाने लायक
भ्रष्टाचार अपराध के अलावा
कुछ और, दिख भी नहीं रहा है !

मंहगाई बढने से
फ़ायदा ही फ़ायदा है
खाने-पीने, पहनने-ओढने, आने-जाने
सब के दाम
बढने दो, अच्छा है, बहुत अच्छा है !

कम से कम, इसी बहाने
सुविधाओं के अभाव में, गरीब मरने लगेंगे
अच्छा होगा -
देश से गरीब गरीबी, दोनो मिट जायेगी !

कितना अच्छा सीधा रास्ता है
गरीबी हटाने का
सरकारें सरकारी पिट्ठू
कितने खुश होंगे
जब गरीबी की, समस्या ही नहीं रहेगी !

जब गरीब नहीं रहेगा, तो कम से कम -
अमीरों को, बडे अफ़सरों को, नेताओं को
गली-कूचे से गुजरने, नाक-मुंह सिकोडने से
पूरी तरह राहत मिल जायेगी !

कितना अच्छा होगा
जब गरीबी मंहगाई को लेकर
कोई चिंतित नहीं रहेगा !

जब गरीब नहीं रहेगा
तो मंहगाई का टंटा भी नहीं रहेगा
चारों ओर खुशहाली ही खुशहाली होगी !

मंहगाई घटने-बढने का, टेंशन ही नही रहेगा
साथ ही साथ, भारत बंद जैसी ...
समस्याओं से भी राहत रहेगी !
बढाओ ... और बढाओ ... मंहगाई ... !!

Tuesday, July 6, 2010

भारत बंद ...

मंहगाई बढी
आंदोलन .... भारत बंद
घोटाला हुआ
आंदोलन .... भारत बंद
भ्रष्टाचार हुआ
आंदोलन .... भारत बंद
असंतोष हुआ
आंदोलन .... भारत बंद

आंदोलन .... भारत बंद
अरे भाई, ये अपना लोकतंत्र है
यहां ये सब होते रहता है
आगे भी होते रहेगा

पर ये आंदोलन ... भारत बंद
चक्काजाम, पुतला दहन
तोड-फ़ोड, आगजनी
कितनी न्यायसंगत है
शून्य, नतीजे सिफ़र
पर क्षति अपार
ऎसा कब तक चलते
व दौडते रहेगा

कोई विकल्प निकालना
ही हितकर होगा
क्या कोई विकल्प है ?
हां बिल्कुल है
जिन महाशयों की बजह से
ये स्थिति - परिस्थिति
निर्मित होती है
क्यों न हम उन्हें मृत मानकर
"दो मिनट" का "मौन" धारण कर लें !

Monday, July 5, 2010

भारत बंद ..... धन्य है !!!

चलो अच्छा रहा
आज भारत बंद था
कुछ लोग, घर से ही नहीं निकले
निकलते तो, दो-चार -
बेवजह सडक दुर्घटना में मारे जाते !

चलो अच्छा रहा
आज भारत बंद था
कुछ लूट के शिकार होने से बच गए
तो कुछ किडनेप होते होते रह गए !

इससे भी बडी खबर तो ये है, कि -
कुछ महिलाएं -
छेडछाड, छींटाकशी, से बची रहीं !

और कुछेक तो
बलात्कार की शिकार होने से
कम-से-कम एक दिन के लिये
तो बाल बाल बच ही गईं !

शुक्र है बुद्धिजीवियों का
जो एक दिन के लिये
तो भलाई का कदम उठाया !

बुराई कहीं नजर आई
तो बस सडकों पर
देश के कुछेक कर्णधार, बल प्रदर्शन कर
तोड-फ़ोड, मारा-मारी करते
दुकानें बंद कराते -
गरीबों को सताते दिखे
तो कुछ यह सब होते देखता दिखे !

धन्य हैं लोकतंत्र के कर्णधार
जो भारत बंद ... बंद ... बंद ...
के समर्थन व विरोध में, हो हल्ला कर रहे हैं !

रही बात मंहगाई की
वो तो खूब, फ़ल-फ़ूल रही है
दिन-दूनी, रात-चौगनी
सीना तान कर
एक एक कदम, आगे बढ रही है !

भारत बंद तो होता आ रहा है
आगे भी होता रहेगा
आज विपक्षी रोटी सेंक रहे हैं
तो कल पक्षियों को भी
रोटी सेंकने का भरपूर मौका मिलेगा !

ये लोकतंत्र रूपी भट्टा है यारो
जिस में अंगार, हरदम गरमा गरम मिलेगा
धन्य है ये लोकतंत्र रूपी मायानगरी
धन्य है... भारत बंद ..... धन्य है !!!

Saturday, July 3, 2010

मौन !

क्या मैं मौन नहीं रह सकता
रह सकता हूं पर क्यों विचलित हूं
हां ये सच है मौन भी एक अदभुत शक्ति है
पर इस शक्ति को मैं जानूंगा कैसे
निश्चय ही मौन रहकर
फ़िर क्यों व्याकुल हूं

क्या कुछ पल भावों को, संवेदनाओं को
एहसासों को, अभिव्यक्तियों को
मौन रहकर महसूस नहीं कर सकता
संभव है पर एक बेचेनी है
मन में उपजे भावों को अभिव्यक्त करने की
पर मैं उन उपज रहे भावों को भी
स्वयं महसूस कर रहा हूं
क्या मैं एक शक्ति को महसूस करने
जानने का प्रयास कर रहा हूं

शायद हां मैं आपके अभिव्यक्त भावों को
पढकर, मन में रखकर
मनन कर रहा हूं और अपनी अभिव्यक्ति से
जो मेरे भीतर है
समझने समझाने का प्रयास कर रहा हूं
ये सच है मैं आपकी चार पंक्तियों को पढकर
मनन कर रहा हूं
और यह भी चिंतन में है मेरे
कि आप को मेरी अभिव्यक्ति का इंतजार है
आप व्याकुल हो मेरी अभिव्यक्ति के लिये

मैंने प्रतिक्रिया क्यों जाहिर नहीं की
मैं क्यों खामोश हो गया हूं
पर मेरे अंदर की खामोशी
एक सन्नाटे की तरह है
जो मुझे झकझोर रही है
उद्धेलित कर रही है, उमड रही है
पर मेरे अंदर ही अंदर
जिसे आप देख सकते
और ही महसूस कर सकते हो
क्यों क्योंकि वह मेरे अंदर है
मेरे मन में है, मौन है !

Friday, July 2, 2010

प्रार्थना

..... संभव है ईश्वर ने आपके लिये, आपके द्वारा प्रार्थना में चाहे गए "विशेष उद्देश्य" से हटकर "कुछ और ही लक्ष्य" निर्धारित कर रखा हो, ऎसी परिस्थिति में प्रार्थना में चाहे गए लक्ष्य तथा ईश्वर द्वारा आपके लिये निर्धारित लक्ष्य दोनों समय-बेसमय आपकी मन: स्थिति को असमंजस्य में डालने का प्रयत्न करेंगे .....

Thursday, July 1, 2010

आग का शोला ...

है पवित्र मन उसका
तन है रेशमी कोमल
दिलों में शंख बजते हैं
हंसे तो फ़ूल झडते हैं !

नहीं बेचा कभी मन
न किया ईमान का सौदा
है हालात से मजबूर
खडी बाजार में है वो !

उसने कभी हंसकर
सौदा, किया नहीं तन का
पर है गर्व उसको
कि - वो तन बेचती है !

करे तो क्या करे ?
रुह को कचोटती है, मन को नौंचती है
बदन को -
आग का शोला बनाकर बेचती है !!